सौणा दा कु सल्ल देखा
देखा वेकू हौळ जी।
नाडू-निसुड़ खच्च-पच्च
अर म्वाल मा छिन टल्ला जी।।1
जोळ मां जब खुट धरेणू
जोळ घच्च रूकणु च।
बथौं बण्यूं हौळ मा जन
गौंत क जलडु फंसणु च।।4
तन से भी हौळ के पिछने छे
अर धन से भी हौळ क पिछने तू।
लोखुन बेचीनी बल्दौं की जोड़ी
अब ये तै ही बिजनेस बणौं तू।।7
देखा वेकू हौळ जी।
नाडू-निसुड़ खच्च-पच्च
अर म्वाल मा छिन टल्ला जी।।1
ज्यू मां जु छन बल्द फंस्यां
हड्क्यूं की सी थुपड़ी जी।
कटक्याणु लग्यूं सौणा दा
अर सुटकी धरीं भ्यूंल की।।2
ठेली-ठेली की चलना बल्द
चखल्यूं की पौ-बारा जी।
हांकी सीं मां आंद आंद
साफ करणा बीज जी।।3
जोळ मां जब खुट धरेणू
जोळ घच्च रूकणु च।
बथौं बण्यूं हौळ मा जन
गौंत क जलडु फंसणु च।।4
हौल मां त अडगणा छिन
बौण मां छिन अटकणा।
सौंणा दा रे बल्द त्यारा
धरू धरू छिन डबखणा।।5
सौंणा दा रे धर्मु बोड़ा मान
बल्द लीण छोड़ दे।
पैंसा लगैकी ऐसू क बसग्याल
भभर्यूं की जोड़ी जोड़ दे।।6
तन से भी हौळ के पिछने छे
अर धन से भी हौळ क पिछने तू।
लोखुन बेचीनी बल्दौं की जोड़ी
अब ये तै ही बिजनेस बणौं तू।।7
-अनिल डबराल 27.09.2010
2 टिप्पणियाँ
बहुत सुंंदर कविता
जवाब देंहटाएंधन्यवाद् जी...
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