साँझ
साँझ नभ के मग पर पग - पग रखकर शांत रूप कुछ अरुणिम होकर घन-सघन को रक्तिम कर कर दूर क्षितिज पर पहुंचा दिनकर देख क्षितिज पर रथ दिनकर का मन उ...
साँझ नभ के मग पर पग - पग रखकर शांत रूप कुछ अरुणिम होकर घन-सघन को रक्तिम कर कर दूर क्षितिज पर पहुंचा दिनकर देख क्षितिज पर रथ दिनकर का मन उ...
साँझ नभ के मग पर पग - पग रखकर शांत रूप कुछ अरुणिम होकर घन-सघन को रक्तिम कर कर दूर क्षितिज पर पहुंचा दिनकर देख क्षितिज पर रथ दिनकर का मन उ...
बाहर बरसता घन सघन, अन्दर सुलगता मेरा मन। बारिश की हर इक बूंद को, खुद में समाता मेरा मन।। बाहर बरसता............. कुछ मन उदास प...
अर्थहीन शाश्वत समझकर देह को न देही का कुछ भान है। बस भौतिकी का ज्ञान है, बस भौतिकी का ज्ञान है।। जीवन हुआ है अर्थहीन, ...
1 बागबां ने बरसों पहले उम्मीद का एक पौधा रोपा था सोचा था गुलों से महकेगा गुलशन दरख़्त बनते ही पनाहगार बना उल्लू का फिर वह...
Photo source: polygon मारियो की याद (MARIO) साल बीते सर्दियों की उन दिनों की बात है, बस घूमकर बीते थे दिन ये उन दिनों की ब...
photo source- google बच्चे अभी आकाश सूना था, अभी नभ नीले रंग में था। अभी स्कूल में थे बच्चे और, मैं अपनी छत पे बैठा था। ...
बादल PHOTO SOURCE: GOOGLE बादल हूं मैं या बादल की तरह बिखरा हुआ हूं, धरा से दूर हूं पर............. न नभ तक पहुंचा हुआ हूं.........