Ghasyeri (घस्येरी)
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022
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Photo: social media जगुल्या पहाड़ों की तलहटी में खोली गाँव था. सब प्रकार का पहाड़ी अनाज यहाँ होता था. गाँव समृद्ध भी नहीं था परन्तु अपनी आवश्...
चश्मा बेच रहा था वह। अलग-अलग नज़र के चश्में थे उसके पास नज़र अपनी भी खराब थी पर खराबी भी समझ नही आ रही थी। बड़े-बड़े लोगों को देखा है बुद्धिजीवि...
बुरांस राज्य वृक्ष हिन्दी काव्यशास्त्रीय रसों के परिप्रेक्ष्य में गढ़वाली लोकगीत भारत विविधताओं का देश है। यहां भौगोलिक, स...
साँझ नभ के मग पर पग - पग रखकर शांत रूप कुछ अरुणिम होकर घन-सघन को रक्तिम कर कर दूर क्षितिज पर पहुंचा दिनकर देख क्षितिज पर रथ दिनकर का मन उ...
बाहर बरसता घन सघन, अन्दर सुलगता मेरा मन। बारिश की हर इक बूंद को, खुद में समाता मेरा मन।। बाहर बरसता............. कुछ मन उदास प...
अर्थहीन शाश्वत समझकर देह को न देही का कुछ भान है। बस भौतिकी का ज्ञान है, बस भौतिकी का ज्ञान है।। जीवन हुआ है अर्थहीन, ...
1 बागबां ने बरसों पहले उम्मीद का एक पौधा रोपा था सोचा था गुलों से महकेगा गुलशन दरख़्त बनते ही पनाहगार बना उल्लू का फिर वह...
Photo source: polygon मारियो की याद (MARIO) साल बीते सर्दियों की उन दिनों की बात है, बस घूमकर बीते थे दिन ये उन दिनों की ब...
photo source- google बच्चे अभी आकाश सूना था, अभी नभ नीले रंग में था। अभी स्कूल में थे बच्चे और, मैं अपनी छत पे बैठा था। ...
बादल PHOTO SOURCE: GOOGLE बादल हूं मैं या बादल की तरह बिखरा हुआ हूं, धरा से दूर हूं पर............. न नभ तक पहुंचा हुआ हूं.........
मेरी पहली कविता (2007.08) आलस्य PHOTO:- HEADLINES EDUCATION बाल कविता - आलस्य आओ बच्चों आलस त्यागें, पढ़-लिखकर कुछ नाम कमाएं ...
हाल-ए-दिल PHOTO SORCE:- VIMAL DABRAL अभी क्या हुआ था कुछ दिन पहले, एक शख्स दिल में उतरने लगा था। आदत न थी आसमां देखने की, चांद-ता...
GANGU- SENA KA EK SIPAHI अंजान दुश्मन 1 बात आज से लगभग दस-ग्यारह साल पुरानी है, हमारे गांव में एक नया जानवर आया था। जो भेड़-बकरि...