शनिवार, 25 जुलाई 2020

अर्थहीन (ARTHHEEN)



अर्थहीन

शाश्वत समझकर देह को
न देही का कुछ भान है।
बस भौतिकी का ज्ञान है,
बस भौतिकी का ज्ञान है।।


जीवन हुआ है अर्थहीन,
है अर्थयुक्त पर अर्थहीन
जीवन और अर्थ परार्थ हो!
न हो तो वह है व्यर्थ हीन।।

आराम की है तलाश पर,
आ राम! की चाहत नही
चाहे निमिष या दीर्घ सुख
आराम कर आ राम! कर।।

बस सुयश की कामना हो,
प्रेम में कोई काम ना हो।
जीतता है विश्व वो,
ना कामना हो काम ना हो।।

वक्त पर जब पर न हों,
पर पर लगा मंजिल चले।
पर पर सदा पर पर ही हैं
पहुंचे कही पर पर रहे।।

अनिल डबराल


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2 टिप्पणियाँ:

यहां 6 अगस्त 2020 को 12:01 am बजे, Blogger Sudha Devrani ने कहा…

वाह!!!!
बहुत ही लाजवाब सृजन

आराम की है तलाश पर,
आ राम! की चाहत नही

जीतता है विश्व वो,
ना कामना हो काम ना हो।।

अद्भुत शब्दसंयोजन बहुत ही उत्कृष्ट।

 
यहां 6 अगस्त 2020 को 10:14 am बजे, Blogger ANIL DABRAL ने कहा…

धन्यवाद, बहुत बहुत आभार

 

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