हिज्र-ए- मोहब्बत
परेशां तो तुम भी होवोगे जब रिश्ता हमसे तोड़ोगे।
हम दिल पर पत्थर रख लेंगे पर लब से कुछ ना बोलेंगे।
दुःख तो हमको भी होगा जी, शायद तुमसे कुछ ज्यादा ही।
पूछे जब कोई हाल-ए-दिल, हम अपने आंसू पी लेंगे।।
हम दिल.........................................
पर लब से....................................
हमें मिला है इश्क में वो, जो हर आशिक को मिलता है।
मिली भीड़ में तन्हाई, लेकिन फिर भी जी लेंगे।।
हम दिल.........................................
पर लब से....................................
तुम्हे मुझसे हजारों थे, मुझे तुम-से बस तुम ही थे।
मांगे दिल जब मुझसे तुमको, हम झूठी आस दिला देंगे।।
हम दिल.........................................
पर लब से....................................
नही चाहते थे हमको तो, इक बार हमें बतला देते।
चलो छोड़ो तुमने छोड़ा है, दुनिया को ना बतलाएंगे।।
हम दिल.........................................
पर लब से....................................
तकरार में मेरे प्यार ही था, पर तुमने उसको ना समझा।
छोड़ा मेरा हाथ औ साथ मेरा, एक दिन खुद पर खुद रोवोगे।।
हम दिल.........................................
पर लब से....................................
हर शाम तेरा ही तसव्वुर था, हर रात तेरे ही थे सपने,।
हर दिन तेरे ख्वाब पिरोता था, सोचा भी न था यूं छोड़ोगे।।
हम दिल.........................................
पर लब से....................................
तुम्हें देख के धड़कन चलती थी, तेरी बात से सांस महकती थी।
तुम से ही मुकम्मल थी मेरी जां, सोचा था कि खद जां जाओगे।।
हम दिल.........................................
पर लब से....................................
लब्ज लबों पर जब आए, इजहार किया तुम शरमाए।
इकरार किया था तुमने भी, हम वो दिन कैसे भूलेंगे।।
हम दिल.........................................
पर लब से....................................
-अनिल डबराल
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