ख़त भेजा था। (KHAT BHEJA THA)

ख़त भेजा था।
Photo source:- डाबर डबराल fb post

खत भेजा था उनको, जबाव मिल गया है।
इजहार कर आए थे, इकरार मिल गया है।।

कई बार उठी थी कलमें, पर कागज रह गए कोरे
दिल ने मारी हिल्लोरें, बा-मुश्किल रोकी लहरें
बेकरार मेरे दिल को, करार मिल गया है
इजहार कर आए............................
खत भेजा था...................................
कई बार की थी कोशिश, कई खत भी लिखे थे उनको
कहीं  रूठ ना जाएं वो, मैंने डर के न भेजे उनको
बेकरार मेरे दिल को, आराम मिल गया है।
इजहार कर आए............................
खत भेजा था...................................
मन डोला मेरा तब से, मैंने जब से देखा तुमको
मेरे दोस्त ये कहते थे, अरे प्यार हो गया तुमको
उनमें कहीं मुझको अपना, संसार मिल गया है।
इजहार कर आए............................
खत भेजा था...................................
तुमसे मिलने को अक्सर, फिरता था उन गलियों में
तेरा आना जाना अक्सर, होता था जिन गलियों से
तुझ बिन मेरा जीना, दुश्वार हो गया है
इजहार कर आए............................
खत भेजा था...................................

मैं गली से तेरी गुजरूं, और तू न दिखाई दे तो
मैं गीत सुहाने गांऊ, बड़े जोर से तुझे सुनांऊ
तेरे दीद बिन मेरा दिन, बेकार हो गया है।
इजहार कर आए............................
खत भेजा था...................................

-अनिल डबराल

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