सुबह से इन्तजार में थे..... न वो आया न पैगाम आया.....
न सब्र ने घुटने टेके, न दिल ने आस छोड़ी, न सागर में उफान आया।
राह देखते-देखते रात कट गई, चांद से बातें पूरी हुई,
रात भर तेरे किस्से तेरी बातें बताई उसे।
रात भर तेरे किस्से तेरी बातें बताई उसे।
इत्मिनान से सुनता रहा तुम्हारी सारी बातें चांद..............
जिनको न कभी तुमने सुना......
एक चांद का साथ पूरा हुआ.......
एक चांद का पता नही.....
-अनिल डबराल
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