ये शाम आ गई और शमा जल गई
दिल तसव्वुर में खोया तू याद आ गई
सर्द मौसम के थे सूखे पत्ते से हम
मर गए थे मगर चल रहा था भरम
तेरी याद आ गई और बहार आ गई
मानों सूखे मेरे मन में घटा छा गई
ये शाम आ गई..........................
दिल तसव्वुर में खोया................
आती जाती हवाओं से पूछा किएहाल तेरा सनम उनसे पूछा किए
तेरी खुशबू हवाएं लुटाती रही
हाल पर मेरे वो मुस्कराती रही
ये शाम आ गई..........................
दिल तसव्वुर में खोया................
रात चलती रही दीप जलता रहाएक दीवाना शमा पर था मंडरा रहा
फिर शमा ना रही ना दीवाना रहा
प्यार में मिट गए बस कहानी रही
ये शाम आ गई..........................
दिल तसव्वुर में खोया................
मेरे ख्वाबों खयालों में बसना तेरा
जुल्फ लहरा के अपनी वो हंसना तेरा
तेरी जुल्फों उलझा के अपना ये दिल
धडकनें मेरे दिल की उलझती रही
ये शाम आ गई..........................
दिल तसव्वुर में खोया................
वो भी दिन थे सनम साथ जीएं थे हम
साथ रहने की कसमें भी खाए थे हम
दूर हमसे गए दूर दिल से गए
धड़कनें रो केे तुमको बुलाती रही
ये शाम आ गई..........................
दिल तसव्वुर में खोया................
ऐ खुदा गर थी वो आसमां की कलीतो कली को मिली फिर क्यूं दो गज जमीं
इस जमाने ने रूसवा किया था उसे
छोड़ के सब उसने जां तेरे नाम की
ये शाम आ गई..........................
दिल तसव्वुर में खोया.................
-अनिल डबराल
1 टिप्पणियाँ
Ati sunder
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